is-it-compulsory-or-discretionary-power-of-the-court-to-award-interim-compensation-under-section-143a-of-the-negotiable-instruments-act


⚖️ सुप्रीम कोर्ट का निर्णय (Rakesh Ranjan Shrivastava vs State of Jharkhand, Crl. Appeal No. 741 of 2024, दिनांक: 15 मार्च 2024)


सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा कि…

Section 143A(1) में प्रयुक्त “may” शब्द को “shall” (अनिवार्य) के रूप में नहीं पढ़ा जा सकता;


यदि इसे अनिवार्य माना गया, तो हर Section 138 शिकायत (cheque dishonour) में अपराध सिद्धि से पहले भी आरोपी को चेक राशि का 20% interim compensation देना पड़ सकता, जिससे न्याय व्यवस्था में भारी अन्याय और मनोवैज्ञानिक दबाव पैदा होगा;

इस तरह की व्याख्या Article 14 (समानता का अधिकार) के खिलाफ जाती है और provision में arbitrariness ला सकती है  ।


इसलिए कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि Section 143A(1) की शक्ति directory है, न कि mandatory—यह न्यायालय के विवेकाधिकार पर निर्भर करती है कि interim compensation दिया जाए या नहीं  ।

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❗ कोर्ट के विवेकाधिकार (Discretion) का विवेचन


🔎 सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित Broad Parameters:

1. Prima facie (प्रारंभिक) आधार पर, complainant की दलील और accused का जवाब दोनों को संतुलित रूप से परखा जाना चाहिए;


2. केवल Section 139 की धारणा (presumption of correctness) की वजह से compensation देना उचित नहीं—यह presumption प्रत्याख्येय है;


3. accused की आर्थिक स्थिति (financial distress) का ध्यान रखा जाना चाहिए;


4. यदि defence वजनदार लगती है, तो interim compensation न देने का निर्णय लिया जा सकता है;


5. यदि interim compensation दिया जाना तय हो, तो quantum तय करते समय transaction की प्रकृति, पक्षों का संबंध, accused की भुगतान योग्यता आदि पर विचार करना आवश्यक है  ।


🏛️ विभिन्न उच्च न्यायालयों के दिशा‑निर्देश:


Karnataka High Court ने कहा कि यदि आरोपी पूरी प्रक्रिया में सहयोग कर रहा हो, तो interim compensation देना आवश्यक नहीं होता; यदि वह सहयोग नहीं करता, तब discretion से compensation देना ठीक है; quantum 1 % से 20 % के बीच हो सकता है, और इसे reasoned order में स्पष्ट करना अनिवार्य है  ।

Kerala High Court एवं Punjab & Haryana High Court ने ये भी दोहराया कि interim compensation देने की शक्ति discretionary है; साथ ही अदालत को speaking order पास करना चाहिए, जिसमें quantum ठीक से तय करने के कारण स्पष्ट रूप से लिखे हों  ।

Jammu & Kashmir‑Ladakh High Court ने भी माना कि interim compensation देना विवेकाधिकार है, और order देने पर तर्कसंगत reasoning होना आवश्यक है  ।


📌 निष्कर्ष

विषय निर्णय / निर्देश
क्या interim compensation अनिवार्य है? नहीं — यह mandatory नहीं, बल्कि discretionary है
“may” का अर्थ “shall” के रूप में नहीं पढ़ा जा सकता – केवल discretionary power दी गई है
interim compensation तय करने की प्रक्रिया जिस‑जिस मामले में जरूरी लगे, उसे case–by–case आधार पर निर्णय करें
quantum तय करते समय विचारणीय तत्व prima facie case, accused की defence, वित्तीय स्थिति, संबंध, व्यवहार आदि
आदेश (order) में आवश्यक अदालती reasoning के साथ speaking order देना अनिवार्य है
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